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अपनी कहानी / OUR STORY !!


 अपनी कहानी !! 


एक बहुत दिलचस्प कहानी हाल ही मे मेरे सुनने मे आयी, शायद आपने सुनी भी हो .. 


जैसा की सबको पता है, कछुओंकी आयु बहुत लंबी होती है और उनकी चाल, काम की गती भी ध़ीमी होती है ।
ये कहानी है कछुओं के परिवार की । 

कछुओंका एक बहुत बड़ा, हसता-खेलता, खुशहाल परिवार था ।
एक दिन सब परिवार वालोंके दिमाग एक खयाल आया की हम सब गरमी की छुट्टीयोंमे कहीं घुमने चलते हैं ।

कहां जाना हैं, कैसे जाना हैं ये तय होते होते उन्हें छह साल लग गये ।
कहां रुकना हैं वो जगह तय होने में एक साल और लग गया ।
सब तय होने के बाद, ठहरने की जगह की सफाई का और खाने-पिने का सामान इकठ्ठा करने में और एक-एक साल लग गया ।
अंततः, इतनी मेहनत के बाद वह सब उस जगह पहुंच गये ।

जगह साफ करने के बाद, जब खाने-पिने का सामान खोल के निकाला, तब उन्हें पता चला की वह नमक लाना ही भूल गये ।

इतनी मेहनत की, इतने अच्छे से सैर करने की योजना बनाई, इतना सुंदर माहोल है, पर नमक के बिना खाने का क्या मज़ा !! 
तो परिवार के जो प्रमुख थे उन्होंने अन्य सदस्योंको बातचीत के लिए बुलाया ।

सब के कहने पर विचारविमर्श करने के बाद, वह सब ध़ीमे ही थे लेकिन उन सब में से सबसे तेज रफ्तार वाला - "छ़ोटा", उसे बुलाया गया ।
उसे कहा गया की, आप वापस जाओगे और नमक लेकर आओगे ।
"मैं नहीं जाऊंगा", छ़ोटा बोला ।
सबने उससे पूछां, "क्या हुआ छ़ोटे, तू क्यों नहीं जायेगा ?'
वो बोला, "मुझे यकिन है की मेरे वापस आने से पहले आप खाना खत्म कर दोगे ।

फिर सब ने मिलकर उसे वचन दिया की जब तक वह वापस नहीं आएगा तब तक परिवार में से कोई भी खाने के सामान को नहीं छुएगा ।
फिर यह वचन लेकर रोते-चिल्लाते, झिझकते हुए छ़ोटा निकल पड़ा । 
परिवार वालों ने अनुमान लगाया की, घर से यहां तक साथ आने में हमे काफी साल लग गए थे, छ़ोटा सबसे तेज है तो जल्द वापस आ जाएगा । 

एक साल बीत गया ....
दो गए ... 
तीन साल हो गए ...
छोटे के आने का कुछ आता-पता, नामोनिशान नहीं था । 

बहुत इंतजार करने के बाद, जब पुरे परिवार की भूख हद से पार चली गयी तो उन्होने सोचा की, अब जैसा भी है, बिना नमक के, खाना खा ही लेते है ।

तो जैसे ही उन्होंने खाने का सामान खोला, थोड़ी ही दूर झाड़ियोंके पीछे छुपा हुआ छ़ोटा झ़ट से छलांग लगाकर सामने आ गया और बोला, "देखा, मुझे पता था, आप लोग हो ही ऐसे । आप मेरे साथ ध़ोखा जरुर करोगे । आपने अपना वादा क्यों तोड़ा ??
अब तो मैं नमक लेने बिलकुल ही नहीं जाऊंगा ।" 


🙏 इस कहानी से मुझे कईं सीखें मिली ।
उसमे से एक सबसे बेहतरीन सीख यह थी -

मानसशास्त्र में एक संज्ञा है, "स्वयं अपनी भविष्यवाणी को पुरा करना", अपनी सोच और कर्मों के साथ ।
कई लोगों का (खास कर नकारात्मक चीजों के बारे मे) हमेशा यह कहना होता है की मेरे साथ ऐसे ही होता है, ऐसा ही होता आया है ।
इसकी वजह से उनके साथ हर बार वैसा ही होता है ।

कुछ समय बाद, उन लोगों की सोच उसी प्रकार हो जाती है और उसे सही साबित करने का काम करने मे वह लोग व्यस्त रहते है ।
इस कहानी में छ़ोटा जो है उसने वही आकर्षित किया जो वह सोच रहा था (परिवार वाले उनका वादा तोडेंगे) और उसने काम भी वैसा ही किया जो उसकी सोच को सही साबित कर सके (बिना कहीं जायें, झाड़ियो में छुपा रहा) । 

किसी ने बहुत खुब कहा है - 

नजर का इलाज हो सकता है,
नजरिये का मुश्किल होता है ।
लेकिन नजरिये को धीरे धीरे ढाला जा सकता है । 

🙌  आप जीवन की "अपनी कहानी" अन्यों को कैसे बताना चाहोगे ये जरुर सोचना और अगर ये कहानी आपको पसंद आयी हो तो मुझे जरुर बताना । 

💫💫💫💫💫💫💫

👉 सकारात्मक विचार आत्मसात करने की आदत से, हमारा नजरिया बदलता है, सोच बदल जाती है, आचरण बदलता है, समान विचारधारा रखने वाले लोगों का साथ मिलता है और इस सबकी वजह से "अपनी कहानी" भी बदल के अच्छी हो जाती है । 

👉 हमारा समूह एक समान विचारधारा रखता है, इसीलिए साथ मे रहने से बहुत सीखने मिलता है ।
आप भी हमारे साथ जुड़ सकते है, नीचे दिये हुए लिंक पर भेट देकर  👇


मिलते है अगले लेख के साथ ... 👍
धन्यवाद ... 😉

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 OUR STORY !! 


Recently, I heard a very interesting story, maybe you have heard it too ... 

As everyone knows, tortoises have a very long life span and their movements and speed are also slow.
This is the story of a family of tortoises. 

There was a very big, happily living family of tortoises.
One day, all the family members had a thought that we all should go for a trip during the summer vacations.
It took them six years to decide where to go and how to go. 

It took another year to decide where to stay. After everything was finalized, it took another one-one year respectively to accumulate all the necessary items to clean the place to stay and utensils and food. Finally, after so much hard work they all reached that place. 

After cleaning the place, when they took out the food items, they realized that they had forgotten to bring salt. 

Worked so hard, planned the trip so well, ambience is so beautiful, but what is the joy of eating food without salt !! 
So, the head of the family called other members for discussion. 

After deliberating on what everyone had to say, they were all slow but the fastest of them all - "Chhota", was called. He was told that he will go back and bring salt. 

"I will not go", said Chhota. Everyone asked him, "What happened Chhote, why won't you go?" He said, "I am sure you will finish all the food before I come back. 

Then everyone together promised him that till he does not return, no one from the family will touch the food items. Then taking this promise, the Chhota left cribbing-crying and hesitating. 

The family members guessed that it took us many years to come here together from home, the Chhota is the fastest so will come back soon. 

A year passed ... 
Two gone ... Its been three years ... 
There was no sign or trace of the arrival of Chhota. 

After waiting for a long time, when the whole family's hunger crossed the limit, they thought that they will eat the food as it is now, without salt. 

So, as soon as they opened the food, Chhota who was hiding behind the bushes a little distance away jumped in front and said, "See, I knew you guys are just like this. You will definitely cheat me. Why didn't you keep your promise?? Now, I will not go to bring salt at all. 

🙏I learned many lessons from this story. 
One of the best lessons from that was this - 

There is a term in psychology, "fulfilling one's own prophecy", with one's thoughts and actions. Many people (especially about negative things) always say that this is what happens to me, this is how it has been happening. 
Due to this, the very same thing happens to them every time. 

After some time, the thinking of those people becomes like that and they get busy in working to prove it right. 
Chhota in this story attracted what he thought (the family would break their promise) and did things to justify his thought (hiding in the bushes without going anywhere). 

Someone said it very well - 

Eyes can be treated easily 
Vision is difficult to treat. 
But it can be molded slowly. 

🙌  Think about how you would like to tell "Your story" of life to others and also if you liked this story then do tell me. 

💫💫💫💫💫💫💫

👉 With the habit of imbibing positive thoughts, our perspective changes, our thinking changes, our behavior changes, we get company of like-minded people and because of all this "our story" also changes for the better. 

👉 Our community has a common ideology, that's why we learn a lot by being together. You can also join us by visiting the link given below 👇


See you with the next article ...👍
Thank you ...😉



5 comments

Radha K said...

What an impressive story👍

Chinmay said...

This story goes on to emphasize the importance of inculcating a positive mindset. You get what you attract. Great blog, Mak!

Unknown said...

खूप छान संदेश, एका साध्या गोष्टी मधून...very nice

Bhavesh Jangale said...

Je bat bhava🤩

ajinkya said...

Nice story Makarand. You gave the moral perfectly in this story.
I am adding this story to my collections. Keep writing. 👍👍👍