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आदतें




आदतें

        बहुत बार आपके सुनने मे एक कहावत आयी होगी, "इन्सान उसकी आदतों का गुलाम होता है।" 
इस कहावत पर बहुत से तज्ज्ञ लोगोंने अभ्यास किया, कई लोगों के आचार-विचार-वर्तन का परीक्षण किया गया, कई प्रयोग हुए। 
अंततः उन्हे यही नतीजा मिला के यह शत-प्रतिशत सही है।
पर ऐसा क्यों ..?
मनुष्य बचपन से घर के सदस्योंको देखकर सबकुछ सीखता है। वह जिन लोगों के आसपास ज्यादातर समय रहता है, उन सबके हाव-भाव, चाल-चलन का असर उसपे पडता है और वह उन सबकी नकल करने लगता है। वह जिन चार-पाच करीबी लोगों के साथ रहता है उन सबके बर्ताव का मिश्रित सारांश उसका बर्ताव रहता है।
संगत का बहुत बडा असर मनुष्य पर पडता है।
यही बर्ताव या गतीविधि पश्चात उसकी आदतें बन जाती है !!
जैसे की सुबह जल्दी उठना, खुदकी और आसपास की स्वच्छता रखना, साफसफाई करना, बडों का आदर करना, रियाज करना, शिक्षा लेना आदि।
आदतें बुरी और अच्छी दोनों प्रकार की होती है।
इन्सान का स्वयंभाव ऐसा होता है के वह बुरी आदतोंसे जल्द प्रभावित हो जाता है...जैसे की नशा करना, गाली देना, बडे लोगोंका सम्मान न करना आदि।

        इन्सान की आदतेंही उसका शील/चरित्र बनाती है, उसती पात्रता बताती है। शुद्ध चरित्र के लिए अच्छी शिक्षा और अनुशासन होना बहुत जरुरी है।
अच्छी शिक्षा की वजह से इन्सान सही-गलत समझ सकता है और खुद के विचारों को काबू मे रख सकता है।
अच्छी आदतों की वजह से मनुष्य का जीवन संरक्षित, खुशहाल और तंदुरुस्त रहता है।
ऐसा माना जाता है कि अच्छी आदतें अपनाने के लिए २१ से ३० दिन तक का समय लगता है।

उदाहरण के तौर पर,
मेरा नींद से उठने का समय सुबह ९ बजे है, जो के बिलकुल गलत है और मै उसे बदलना चाहता हूँ।
तो यह सफलता की ओर मेरा पहला कदम है क्योंकि मेरे मन ने बुरी आदत छोडने का निर्णय लिया है।
अगर मुझे सुबह ७ बजे उठना है तो मुझे रात में जल्दी सोना पडेगा।
जल्दी सोने के लिए खाना जल्दी खाने लगूँगा, जल्दी खाने के लिए ज्यादा समय न गवाँकर काम खतम करके जल्दी घर आऊँगा और खुद के और परिवार के सदस्यों के लिए ज्यादा समय निकाल पाऊंगा।
अगर मैने ये ३० दिन सौ प्रतिशत अनुशासन के साथ बिता दिये तो मेरी सब बुरी आदतें नष्ट होकर, सब अच्छी आदतों का स्वीकार कर पाऊँगा और स्वस्थ जीवन बिता सकूँगा।

अंती, 
सोच/विचार करनेकी क्षमता यह मानव की सबसे बडी उपलब्धी है।
यह मानव प्रजाती को मिला हुआ सबसे बड़ा वरदान है। 
आदतें विचार से ही बनती है, पलती है और बढती है।

इन्सान आदतों का गुलाम जरुर होता है लेकिन अगर वह उसका इस्तेमाल सही तरह से करें तो यह भगवान की सबसे बडी देन रहेगी।।
😊😊

5 comments

Aishwarya Makarand said...

बहूत खूब सोच ��������

Dhananjay said...

Great thoughts Mak 👏
Keep writing 👍

Prashant Shouche said...

It's a inspiration message for all
Very good 👍

Shubhangi Kulkarni said...

खूप सुंदर लेख, असच सुंदर लिखाण तुझ्याकडून होत राहो.👍👍

Anjali Gadgil said...

फारच वाचनीय आणि मनन करण्यासारखा लेख 👌