अहंकार छोड़ो / LET THE EGO, GO !!
अहंकार छोड़ो !!
हाल ही में मैंने एक बडे विचारवंत का विश्लेषण सुना था ।
तीनों लोकों में सर्वशक्तिमान, अमर और अपराजित रावण को हराके सीता मां और लक्ष्मण संग प्रभु श्रीराम अयोध्या आए ।
नगरवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया ।
चारों ओर त्योहार मनाया जा रहा था ।
कौशल्या माता ने राजपरंपरा के अनुसार विजयतिलक लगाकर उनका औक्षण किया ।
मां ने श्रीराम से कहा, "पुत्र, आज तीनों लोकों के लिए सबसे बड़ा संकट था जो अजेय योद्धा रावण, उसका विनाश हुआ । सब तरफ आनंद और उत्साह मनाने की खुशी छाई । धर्म की अधर्म पर जीत हुई ।
और इसका कारण आप हो इसलिए मुझे खुशी है । बहुत बहुत बधाई हो जो आपने रावण को मारा ।"
तब श्रीराम ने उत्तर दिया,
"माता, रावण को "मैंने" नहीं
बल्कि "मैं"ने मारा ।
श्रीराम जी ने जो उत्तर दिया वो बहुत ही सरल है लेकिन उसका अर्थ उतना ही गहरा है ।
रावण को "मैं"ने मारा - "मैं" मतलब अहंकार...
रावण शूर था, पराक्रमी था, सर्व शक्तिशाली था, शस्त्र और शास्त्र में निपुण था । उसमें कई खूबियां थी परंतु बुरा चरित्र, अनीति और "मैं ही सबसे बडा और शीर्ष पर हूँ" इस अहंकार की वजह से उसकी मृत्यु हुई ।
और प्रभु
श्रीरामजी धर्म, नीतिमत्ता,सभ्यता, कृतज्ञता, शुद्ध चरित्र इन संस्कारों की वजह से महान हो गए ।
मूल रुप से, हर इक इन्सान मे राम और रावण दोनों का वास होता है ।
दोनों के सब गुण हमारे भीतर होते है ।
परंतु, हम जिसका अनुसरण करते है उसी के आधार पर हमें नतीजा प्राप्त होता है ।
तो निर्णय हमारा है, हम क्या करते है ।
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पढ़ने से हमारे विचारों में, आदतों में परिवर्तन होता है ।
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LET THE EGO GO !!
Recently, I heard the address of a great thinker.
After defeating Ravan, the almighty, immortal and undefeated in all three Lok, Lord Shri Ram came to Ayodhya along with Ma Sita and Lakshman.
The townspeople welcomed them grandly. Festivals were being celebrated all around. Kaushalya Mata anointed him by applying Vijay Tilak as per the royal tradition.
The Mata said to Shri Ram, "Son, today the invincible warrior Ravan, who was the biggest threat to the three Lok, was destroyed. There is joy and enthusiasm everywhere. Dharm won over Adharm, unrighteousness.
And the reason for this is you, that is why I am very happy. Congratulations on killing Ravan."
Then Shri Ram replied,
“Mata, it was not “I” but
“I” who killed Ravan.
The answer given by Shri Ram ji is very simple but its meaning is equally deep.
Ravan was killed by "I" - "I" means ego...
Ravan was brave, mighty, all-powerful, and versed in weapons and scriptures. He had many qualities but his bad character, immorality and arrogance like "I am the biggest and on top" led to his death.
And Lord Ramji became great because of the values of dharm, morality, etiquettes, gratefulness and pure character.
Basically, both Ram and Ravan reside in every human being.
All the qualities of both are present within us.
But, we get results depending on whom we follow.
So, the decision is ours, what to do.
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Reading changes our thoughts and habits.
However “Reading” is a tough task for many people.
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